Nalanda University : करीब 800 साल के लंबे इंतजार के बाद Nalanda का कैंपस फिर से चालू हुआ

Nalanda University करीब 800 साल के लंबे इंतजार के बाद का कैंपस फिर से अपने पुराने स्वरूप में लौट रहा है | आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नये कैंपस का उद्घाटन किया| नया परिसर नालंदा विश्वविद्यालय के प्राचीन खंडहरों के पास है, जिसकी स्थापना नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत की गई थी।

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Nalanda university क्या है नष्ट की कहानी?

नालंदा को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ा | 700 साल के लंबे सफर के बाद 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने एक हमले इसे जला दिया | कहा जाता है कि एक बार बख्तियार खिलजी बहुत ज्यादा बीमार पड़ गया| उसके बाद उसका इलाज कई तरीकों से किया गया और कहा जाता है कि अपने इलाज से नाखुश होने के बाद गुस्से में खिलजी ने इसे जलवा दिया था |

Nalanda university का प्राचीन इतिहास

नालंदा विश्वविद्यालय मूल रूप से पचासवीं सदी में स्थापित किया गया था, यह एक प्रसिद्ध संस्थान था, जो दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित करता था। यह 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा, इसको 12वीं सदी में आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी द्वारा नष्ट नहीं कर दिया गया।

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Nalanda university कौन-कौन पढ़ने आते थे?

नालंदा विश्वविद्यालय में समय समय पर यहां महान शिक्षकों ने पढ़ाई करवाई थी| इन महान शिक्षकों में नागार्जुन, बुद्धपालिता, शांतरक्षिता और आर्यदेव का नाम शामिल है यहां पढ़ने वालों की बात करें तो यहां कई देशों से लोग पढ़ने आते थे चीन के प्रसिद्ध यात्री और विद्वान ह्वेन सांग, फाह्यान और इत्सिंग भी यहां से पढ़े हैं, ह्वेन सांग, नालंदा के आचार्य शीलभद्र के शिष्य थे|

कितना विशाल था Nalanda university कैंपस

इस विश्वविद्यालय की भव्यता इतनी थी कि यहां 300 कमरे, 7 बड़े कक्ष और पढ़ाई के लिए 9 मंजिला एक लाइब्रेरी थी. साथ ही यह कई एकड़ में फैला हुआ था| यहां हर सब्जेक्ट के गहन अध्ययन के लिए बनाई गई थी 9 मंजिला लाइब्रेरी, जिसमें 90 लाख से ज्यादा किताबें रखी हुई थी| बताया जाता है कि जब इसमें आग लगाई गई तो इसकी लाइब्रेरी 3 महीने तक जलती रही, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसमें कितनी किताबें रही होंगी|